वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते!


वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते!
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते!
 मर गए पर खुली रखी आँखें!
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,