अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में !

अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में !
बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में...!!
हम तो जिन्दा हैं तेरा साथ पाने को !
वर्ना देर नहीं लगती हैं जहर पीने में

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,