जब धूप का समन्दर कुल आसमान पर है।
जब धूप का समन्दर कुल आसमान पर है।
ऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।
या रब तू ही बचाना आफत सी जान पर है,
फिर तीर इक नजर का तिरछी कमान पर है।
उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।
सत्य प्रकाश से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
गजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।
ऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।
या रब तू ही बचाना आफत सी जान पर है,
फिर तीर इक नजर का तिरछी कमान पर है।
उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।
सत्य प्रकाश से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
गजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।
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