एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है, जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है, मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं, मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है..!!
याद तेरी आती है क्यो.यू तड़पाती है क्यो? दूर हे जब जाना था.. फिर रूलाती है क्यो? दर्द हुआ है ऐसे, जले पे नमक जैसे. खुद को भी जानता नही, तुझे भूलाऊ कैसे?
देख कर उसको अक्सर हमे एहसास होता है, कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है, ये और बात है वो हर पल नही होता हमारे पास, मगर उसका दिया गम अक्सर हमारे पास होता है…!
दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है, फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रक्खूँ !! ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ, तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ !! ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ, तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ..!!
मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला …… हम खोजते रहे मगर ठिकाना न मिला ………….. लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरो के सामने से …… और उसे कोई रुकने का बहाना न मिला
में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना ! में उसके गम में शरीक हूँ पर मेरा गम न उसे बता देना, जिन्दगी कागज की किश्ती सही, शक में न बहा देना !
चल पडी है कश्तीयां समंदर, दूर है किनारा इन मौजों से पूछ लेना क्या हाल है हमारा ? अब हवाऐं करेंगी रोशनी का फ़ैसला, जिस दिये में जान होगी, वो दिया रह जायेगा ॥
दोस्त ने दोस्त को, दोस्त के लिए रुला दिया, क्या हुआ जो किसी के लिए उसने हमें भुला दिया, हम तो वैसे भी अकेले थे अच्छा हुआ जो उसने हमे एहसास तो दिला दिया.
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी हैं एक हल्की सी मेरे लब ने हँसी माँगी हैं सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करू जी में आता हैं के जी भर के तुझे प्यार करू...
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी हैं एक हल्की सी मेरे लब ने हँसी माँगी हैं सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करू जी में आता हैं के जी भर के तुझे प्यार करू...
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी हैं एक हल्की सी मेरे लब ने हँसी माँगी हैं सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करू जी में आता हैं के जी भर के तुझे प्यार करू...
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी हैं एक हल्की सी मेरे लब ने हँसी माँगी हैं सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करू जी में आता हैं के जी भर के तुझे प्यार करू...
मैने कब तुझसे ज़माने की खुशी माँगी हैं एक हल्की सी मेरे लब ने हँसी माँगी हैं सामने तुझको बिठाकर तेरा दीदार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करू जी में आता हैं के जी भर के तुझे प्यार करू...
अगर मै हद से गुज़र जाऊ तो मुझे माफ़ करना, तेरे दिल में उत्तर जाऊ तो मुझे माफ़ करना, रात में तुझे देख के तेरे दीदार के खातिर, पल भर जो ठहर जाऊ तो मुझे माफ़ करना!!!!
चल पडी है कश्तीयां समंदर, दूर है किनारा इन मौजों से पूछ लेना क्या हाल है हमारा ? अब हवाऐं करेंगी रोशनी का फ़ैसला, जिस दिये में जान होगी, वो दिया रह जायेगा ॥
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी… मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी… उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना… वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है, जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है, मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं, मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है..!!
मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला …… हम खोजते रहे मगर ठिकाना न मिला ………….. लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरो के सामने से …… और उसे कोई रुकने का बहाना न मिला
इक शहंशाह के हसीन ख्वाब की ताबीर देखी है आपनें ! इस मे पेश आये हादसों के मंज़र नही देखें !! युं तो छोडे है कई दिवानों नें ताज मोहब्बत के वास्ते!! मोहब्बत किसी ताज़ की मोहताज़ नही होती !!
मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला …… हम खोजते रहे मगर ठिकाना न मिला ………….. लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरो के सामने से …… और उसे कोई रुकने का बहाना न मिला
दो बातें उनसे की तो दिल का दर्द खो गया, लोगों ने हमसे पूछा कि तुम्हें क्या हो गया, बेकरार आँखों से सिर्फ हँस के हम रह गए, ये भी ना कह सके कि हमें इश्क़ हो गया...
आँखों में चाहत दिल में कशिश है; फिर क्यों ना जाने मुलाकात में बंदिश है; मोहब्बत है हम दोनों को एक-दूसरे से; फिर भी दिलों में ना जाने यह रंजिश क्यों है।
Mehfil Kabhi Udaas Nahi Hoti Pyaar ki Manzil Itni Pass Nahi Hoti Hota hai kabhi kabhi Aisa bhi Zindagi mein Mil Jaate hain wo bhi Jinki Kabhi Talaash Nahi Hoti