आशियाने पे मेरे अब उसने आना छोड़ दिया

आशियाने पे मेरे अब उसने आना छोड़ दिया
हमने भी आशियाने को सजाना छोड़ दिया …
जाने ऐसी क्या खता हो गयी थी हमसे …
की उसने हमे देखकर मुस्कुराना छोड़ दिया …
प्यार उसकी आँखों में जब देखना चाहा हमने
उस बेदर्द ने नजरे मिलाना छोड़ दिया….
मेरे दिल के टुकड़े करके कहती रही वो
 की उसने गैरों से मिलना -मिलाना छोड़ दिया ….
 रोना तो बहुत चाह उससे बिछडने के बाद
 पर आंसुओं ने भी आँखों में आना छोड़ दिया
सो गए इस उम्मीद से की ख्वाबों में मिलेंगे
उनसे पर भूल गए की उन्होंने सपनो में भी आना छोड़ दिया ….
यूँ तो तनहा नहीं मैं उसके बिना पर किसी गैर को
अब मैंने अपनाना छोड़ दिया
कोई अरमान नहीं बचा इस टूटे दिल में मेरे
के अपनी कहानी हर किसी को सुनाना छोड़ दिया

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