मैं आरज़ू-ए-जाँ लिखूँ या जां-ए-आरज़ू,

मैं आरज़ू-ए-जाँ लिखूँ या जां-ए-आरज़ू,
तू ही बतादे नाज़से ईमान-ए-आरज़ू.
ईमान-ओ-जान निसार तेरी इक निगाहपर,
तू जान-ए-आरज़ू,है तू ईमान-ए-आरज़ू.

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