फिर करने लगा हिसाब जिंदगी का !

 फिर करने लगा हिसाब जिंदगी का !
ये भी एक जरिया हैं तुम्हे याद करने का !!
यादों के खाख में ढूंढ़ रहा था एक हँसी !
आँखों से भी टपका तो एक कतरा .... !!.

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,