कभी दर्द तो कभी दुवा दी हैं !

कभी दर्द तो कभी दुवा दी हैं !
दिल का चैन आँखों की नींद उड़ा दी हैं !!
ये तेरी याद हैं या मेरे दर्द का इम्तहान !
जो पलकों के कतरों पे नमी सजा दी हैं !!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,