कितना सरुर रात की तनहाइयों में था !
कितना सरुर रात की तनहाइयों में था !
चुप था चाँद जैसे रुसवाइयों में था !!
लोग जाग रहे थे इबादत के लिए !
और ये दिल किसी की यादों की गहराइयों में था !!.
चुप था चाँद जैसे रुसवाइयों में था !!
लोग जाग रहे थे इबादत के लिए !
और ये दिल किसी की यादों की गहराइयों में था !!.
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