सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ;

सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ;
माना कि तुमको प्यार नहीं, नफ़रत ही जताने आ जाओ;
जिस मोड़ पे हमको छोड़ गए हम बैठे अब तक सोच रहे;
क्या भूल हुई क्यों जुदा हुए, बस यह समझाने आ जाओ।

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,