तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,

 तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नजऱ अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता..!!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,