मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी हैं ..

मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी हैं ..
लोगो मैं ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी हैं ..
अब ये आइना भी क्या काम का मेरे …
मैंने तौ अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी हैं ….

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,