मैं जब भी तेज चलता हूँ ,नज़ारे छूट जाते हैं

मैं जब भी तेज चलता हूँ ,नज़ारे छूट जाते हैं
कोई जब रूप धरता हूँ तो साँसे टूट जाती है
मैं रोता हूँ तो आकार लोग कन्धा थपथपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,