काश खुशियों की कोई दुकान होती


“काश खुशियों की कोई दुकान होती
हमें भी उसकी पहचान होती
भर देते आपकी जिन्‍दगी को खुशियों से
किमत चाहे उसकी हमारी जान होती ”

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,