हर सुबह को अपनी सांसों में रखो


हर सुबह को अपनी सांसों में रखो
हर शाम को अपनी बाहों में रखो
हर जीत आपकी है बस
अपनी मंजिल को अपनी निगाहों में रखो।

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,