यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो, 
प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया ना करो
शहर ऐ एहसार में पत्त्हत बहुत है, दिल को 
शीहे के झरोंखों मे सजाया ना करो

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