लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा, लिख के मिटा देती हूँ..

अपने जज्बातqfk को, नाहक ही सजा देती हूँ…
होते ही शाम, चरागों को बुझा देती हूँ…
जब राहत का, मिलता ना बहाना कोई…
लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा, लिख के मिटा देती हूँ..

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,