बदल कितने खुश नसीब है, दूर

बदल कितने खुश नसीब है,
दूर रहकर भी ज़मीन पार बरसते हैं,
हम कितने बदनसीब है,
पास रहकर भी मिलने को तरसते हैं ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,