हसरतों की निगाहों पे सख्त पहरा है


हसरतों की निगाहों पे सख्त पहरा है
ना जाने किस उम्मीद पे दिल ठहरा है
तेरी चाहत की कसम ऐ दोस्त
अपनी दोस्ती का रिश्ता प्यास से भी गहरा है

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,