उतरा था चाँद हमारे आंगन में

उतरा था चाँद हमारे आंगन में,
पार सितारों को ये गवारा ना हुआ ,
हम तो सितारों से भी बगावत कर लेते,
पार क्या करे चाँद ही हमारा ना हुआ ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,