जिन्‍दगी की राहों में बहुत से यार मिलेगें


“जिन्‍दगी की राहों में बहुत से यार मिलेगें
हम क्‍या हमसे भी अच्‍छे हजार मिलेगें
इन अच्‍छों की भीड में हमे ना भूला देना
हम कहॉ आपको बार बार मिलेगें ”

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,