दोस्‍ती से आज प्‍यार शरमाया है


“दोस्‍ती से आज प्‍यार शरमाया है
तेरी चाहत ने कुछ ऐसा गजब ढाया है
खुदा से क्‍या तुझे मांगे, वो तो आत खुद
मुझ से मुझ जैसा मांगने आया है ”

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,