मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है;

उसने कहा अब किसका इंतज़ार है
मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है
उसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है 
मसरूर’; मैंने कहा अब भी मेरा हौसला बाकी है!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,