भ्रमर कोई कुमुदनी पर, मचल बैठा तो हंगामा

भ्रमर कोई कुमुदनी पर, मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे, सब किस्सा मोहब्बत का
हम किस्से को, हकीक़त में, बदल बैठे तो हंगामा

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,