कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को, बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,