मेरी वफ़ाये हैं उनकी वफ़ाओ के सामने

मेरी वफ़ाये हैं उनकी वफ़ाओ के सामने !
जैसे कोई चिराग हो हवाओ के सामने !!
किश्मत तो चाहती हैं तवाही मेरी....!
लेकिन मजबूर हैं किसी की दुवाओ के सामने !!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,