दूर तक तन्हाई का सफर हैं

दूर तक तन्हाई का सफर हैं !
न कोई साथी न हमसफर हैं !!
चलते हैं दिल के सहारे ये सोच कर !
की अगले ही मोड़ पे खुशियों का सहर हैं !!

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,