कब दिल उसकी याद में चूर नही था,
कब दिल उसकी याद में चूर नही था,
कब उस से मिलने को दिल मजबूर नही था
ये सच है मेरे यार इस ज़िन्दगी में ,
दिल उसी का टूटा टा है जिसका कोई कसूर नही होता
कब उस से मिलने को दिल मजबूर नही था
ये सच है मेरे यार इस ज़िन्दगी में ,
दिल उसी का टूटा टा है जिसका कोई कसूर नही होता
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें