टूटने को तो बहुत कुछ टूट सकता है,

टूटने को तो बहुत कुछ टूट सकता है, 
चाहे तो हर अफसाना हमसे रूठ सकता हैं,
कुछ यूँ देखि हमने दुनिया की हकीकत, 

ये वक़त मौसम की तरह न जाने कभी भी बदल सकता है

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