जो बन रहे है आज शहरों के उजाले

जो बन रहे है आज शहरों के उजाले , 
उन चिरागिओंने भी कभी घर जलाएंगे होंगे,
हाथ तो उसके भी हुए होंगे ज़ख्मी, 

जिसने मेरी राहों में कांटे बिछाये होंगे 

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