जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है;

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट