न कश्ती न किनारा है कोई

न कश्ती न किनारा है कोई, 
न मंजिल न जीना का सहारा है कोई,
न आंसू न खुशी का इशारा है कोई, 

पर आप हैं तो लगता है की दोस्त हमारा है कोई

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